फर्जी पत्रावली बनाकर भूमाफिया ने अदालतों को भी दिया धोखा, पीड़ित ने डीएम से की निष्पक्ष जांच की मांग।
भूमाफिया ने चकबंदी अधिकारियों के भी कर डाले जाली हस्ताक्षर।
लापरवाही :- अधिकारियों ने नोटिस रामनवमी की छुट्टी के दिन जारी।
रुद्रपुर/किच्छा। जनपद ऊधम सिंह में दूसरो की ज़मीन हड़पने वाले भूमाफिया कैसे कैसे कारनामे करते है, इसका जीता जागता उदहारण किच्छा चकबंदी विभाग में मिला है। जहां एक असरदार व्यक्ति ने न केवल चकबंदी की फ़र्ज़ी पत्रावली बनाई बल्कि चकबंदी अधिकारी का फ़र्ज़ी निर्णय भी बना डाला और उस आदेश से साढ़े आठ साल बाद अमल दरामद भी करवा डाला। पीड़ित न्याय की तलाश में विभिन्न न्यायालयों में मुकदमो से जूझता रहा, लेकिन उसकी फ़र्ज़ी साक्ष्यों से हार होती गई। लेकिन अब इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।
जानकारी के मुताबिक़ अब इस मामले में पीड़ित किच्छा निवासी भारत भूषण भटनागर ने अपने साथ और न्यायालयों के साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत जिलाधिकारी रंजना राज गुरु से साक्ष्यों के साथ करके जांच कराने, दोषी लोगो के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने और न्याय दिलाने की मांग करते शिकायती पत्र भी दिया है।
दरअसल भारत भूषण भटनागर अपने पिता के नाम ग्राम शहदौरा पर दर्ज भूमि को अपने नाम कराने की पिछले सात आठ सालो से कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। जब उन्होंने अपने मुकदमे की पत्रावली के वारे में माल अभिलेखागार रुद्रपुर जाकर छानबीन की तो वो पत्रावली देखकर हैरान रह गये,क्यों कि उसमे जिस दिन नोटिस जारी होना दिखाया गया था,उस दिन राम नवमी का अवकाश था। उनके पिता के ब्यान और फ़र्ज़ी हस्ताक्षर बनाये गये थे। यहाँ तक कि चकबंदी अधिकारी के जाली हस्ताक्षरों से निर्णय भी बनाया गया था।
इसके बाद भारत भूषण भटनागर ने चकबंदी अधिकारी किच्छा से रमेश प्रताप बनाम बलवीर स्वरूप के वाद संख्या-1194/1992 का सवाल जबाब माँगा था,कि क्या वाद संख्या- 1194/1992 कभी न्यायालय श्रीमान में दायर किया गया या अस्तित्व में रहा है या नहीं ? जिसका उत्तर उन्हें 10 जून 2021 को मिला। जिसमे चकबंदी अधिकारी ने जबाब दिया था कि
माल अभिलेखागार रुद्रपुर में संचित वाद पंजिका एवं मिसिल बंद रजिस्टर वर्ष-1991-92 व 1993-94 के नक़ल सत्यप्रति लिपि के छाया प्रति के अनुसार उक्त वाद कही दर्ज रजिस्टर होना नहीं पाया गया। साथ ही साक्ष्य भी उपलब्ध करवाए थे कि उक्त मुकदमा संख्या से सरकार बनाम जोगा सिंह के नाम से मुकदमा चला था। जिससे यह प्रमाणित हो गया था कि इस फ़र्ज़ी पत्रावली के आधार पर ज़मीन हड़पने का फर्जीबाड़ा चलता रहा और न्यायालयों को भी इससे धोखा दिया गया।
यही नहीं, जब शिकायतकर्ता ने इस मामले में चकबंदी अधिकारी किच्छा के न्यायालय में पुनर्स्थापना प्रार्थना पत्र दिया था, तो उन्होंने मूल पत्रावली देखे बिना ही इस आधार पर ख़ारिज कर दिया कि वो पोषणीय नहीं है। एक तरह से फ़र्ज़ी बाड़ा करने वालो ने शिकायतकर्ता के कानूनी मौलिक अधिकारों से भी वंचित कराने का षड्यंत्र रचा। ताकि जब वो इसके खिलाफ किसी न्यायालय में जाये तो उसे कानूनी लाभ न मिल सके।
भारत भूषण भटनागर ने जिलाधिकारी को दिये गये शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि उसके पिता बलवीर स्वरूप के नाम दर्ज ग्राम शहदौरा भूमिधरी की जिसका गाटा संख्या- 300/2 रकबा-1.6824 है० है, को हड़पने के लिये रमेश प्रताप सिंह ने चकबंदी विभाग से मिलकर एक फ़र्ज़ी मुकदमे की पत्रावली बना डाली थी,उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र आलोक प्रताप चंद और उनकी पत्नी श्रीमती अंजू चंद इस फ़र्ज़ी पत्रावली के आधार पर हुए निर्णयों के आधार पर कानूनी लाभ उठाते रहे है।
भारत भूषण ने शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि अकेले उनके साथ ही यह फर्जीबाड़ा नहीं हुआ है बल्कि सरकारी ज़मीन को हड़पने के लिये भी ऐसी ही वाद संख्या- 321 US 9 क (2) सरकार बनाम नीलम चंद आदि फ़र्ज़ी पत्रावली बनाई है, जो मुकदमा कही चला ही नहीं है। करोडो की इस सरकारी भूमि पर कब्ज़ा जमाये बैठे है।
जिलाधिकारी से पीड़ित ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कर उसे न्याय दिलाने की मांग की है।