मामला किच्छा कोतवाली का :- बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले….?
- छुटभैये महारथियों को किच्छा कोतवाली से पुलिस ने दिखाया बाहर का रास्ता।
- नेता गिरी चमकाने के चक्कर मे सारा माजरा हो गया उल्टा।
किच्छा। बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान फिर भी कम निकले यह…… पंक्तियां एक मामला सामने आया है उस पर काफी सटीक बैठती है, मामला किच्छा क्षेत्र की कोतवाली किच्छा का। कुछ भाजपा के छुटभैये महारथी किसी मामले में कोतवाली किच्छा पहुंचे, जहां कुछ समय बाद अचानक कोतवाल किच्छा को गुस्सा आया और उन्होंने किसी मामले में वार्ता के साथ अनावश्यक दबाव बना रहे छुटभैये नेता को कोतवाली से बाहर का रास्ता दिखा दिया?
आप को बताते चले कि यह मामला विगत दिवस का है जहां किच्छा कोतवाली में अपने आप को भाजपा के नेता व नामित सभासद राजीव सक्सेना और सभासद प्रतिनिधि जगरूप सिंह गोल्डी अपने साथियों के साथ किसी मामले को लेकर कोतवाली पहुंचे जहां कुछ समय हीरो बनने की चाह में अधिकारियों से वार्ता के दरमियान इतना उत्तेजित हो गए की अपने आप को क़द्दावर नेता समझने लगे।
जब उत्तेजित पना कम नही हुआ तो मजबूरी में कोतवाल साहब भी उग्र हो गए और उन्हें तत्काल ही कोतवाली से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया। इतना ही नही अपने आप को इतना बड़ा नेता मान लिया कि कोतवाली में अधिकारियों को देख लेने तथा मनमानी करने का आरोप लगाने लगे। मगर अधिकारी भी अपनी मर्यादा को ठेस कैसे पहुँचने देते और उन्होंने भी राजीव सक्सेना व जगरूप सिंह गोल्डी को पकड़कर कोतवाली से बाहर निकाल दिया।
सूत्रों की माने तो किसी मामले को लेकर कोतवाली पुलिस पर अनावश्यक रूप से दबाव बना रहे थे बताया जाता है कि यह सब ड्रामा मीडिया में सुर्खियां बटोरने को लेकर किया गया था मगर किसको पता था कि मामला उल्टा ही हो जाएगा। इन नेताओ को अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर मे खुद ही कोतवाली से बाहर आना पड़ गया।
इस मामले सोशल मीडिया पर भी जमकर खिचाई हो रही है। कुल मिलाकर इन छुटभैये महारथियों पर यह कहावत चरितार्थ हो रही कि बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान फिर भी कम निकले यह…..।