दीपावली से पहले खाद्य सुरक्षा विभाग की बड़ी कार्यवाही, मचा हड़कंप।


बाजपुर। बाजपुर में दीपावली से पहले खाद्य सुरक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई सामने आई है, लेकिन सवाल ये भी उतना ही बड़ा है कि आखिर सालभर विभाग कहां गायब रहता है? त्योहार आते ही अचानक “एक्शन मोड” में आने वाले अधिकारी क्या जनता की जिंदगी को सिर्फ त्योहारों तक सीमित समझते हैं? खाद्य सुरक्षा विभाग के कुमाऊं डिप्टी कमिश्नर राजेंद्र सिंह कठायत के नेतृत्व में टीम ने दोराहा चौकी पुलिस के साथ छापेमारी अभियान चलाया।

इस दौरान उत्तर प्रदेश से बाजपुर में लाए जा रहे दो कुंतल नकली पनीर और पांच किलो नकली मक्खन को जब्त किया गया। जांच में यह सब नकली पाया गया। वहीं टीम ने मौके पर ही गंदे नाले के पास नकली पनीर और मक्खन को डालकर नष्ट कर दिया। वाहन चालक से लिए गए छह सैंपल (चार पनीर, एक अमूल दूध और एक मक्खन) लैब जांच के लिए भेजे गए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या केवल सैंपल लेकर खानापूर्ति करना ही विभाग की जिम्मेदारी रह गई है? त्योहारों पर औपचारिक छापेमारी और सैंपल लेने की रस्म अब लोगों के बीच मज़ाक बन गई है।

पूरे साल बाजारों में मिलावटखोरी का कारोबार फलता-फूलता है, लेकिन अधिकारी आंखें मूंदे रहते हैं। जैसे ही दिवाली आती है, अचानक जांच की याद आ जाती है ताकि दिखाया जा सके कि विभाग सक्रिय है। बाजपुर के लोगों में यह सवाल बार-बार उठता रहा है कि आखिर नकली दूध, पनीर, मक्खन और मिठाइयों का धंधा कब रुकेगा? कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाने वाले इस सिस्टम ने आम जनता की जिंदगी को सस्ता बना दिया है। खाद्य सुरक्षा विभाग के इस मंडल में ऐसा लगता है जैसे लोगों की सेहत की कीमत अब फाइलों में दब गई हो। त्योहारों पर दिखने वाली ये छापेमारियां बस एक दिखावा हैं, जिससे अधिकारियों के नाम “एक्शन” दर्ज हो जाए। लेकिन असली मिलावटखोरी पूरे साल आम आदमी की थाली तक पहुंच रही है। सवाल यह भी है कि जब हर साल त्योहारों से पहले यही कहानी दोहराई जाती है, तो आखिर जिम्मेदारी तय कब होगी? जो नकली पनीर और दूध पकड़ा गया है, वही अगर महीनों से बिक रहा था तो क्या अब तक लोगों के परिवारों की सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं हुआ? यह कार्यवाही जितनी देर से हुई है, उतनी ही सवालों के घेरे में भी है। जनता अब सिर्फ सैंपलिंग नहीं, पूरे सिस्टम की जवाबदेही चाहती है।
