कप्तान साहब! कच्ची शराब माफियाओ की गुंडागर्दी, खबर चलाने पर पत्रकार पर किया जानलेवा हमला!


देर रात रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा ने थाना ट्रांजिट कैम्प प्रभारी से मिलकर की कड़ी कार्यवाही की माँग, दिया दिया हर सम्भव मदद का आश्वासन।रुद्रपुर। शहर में नशे के खिलाफ आवाज़ उठाना अब जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है। रुद्रपुर के ट्रांजिट कैंप थाना क्षेत्र स्थित मच्छी तालाब इलाके में वर्षों से सक्रिय कच्ची शराब व गांजे के कारोबारियों ने एक पत्रकार पर हमला कर न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को चुनौती दी, बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
📌 पत्रकार अर्जुन कुमार पर जानलेवा हमला:
युवा पत्रकार अर्जुन कुमार जब अपने दायित्व का निर्वहन कर खबर कवरेज के बाद अपने घर लौटे, तो गली में ट्रैफिक जाम को देखते हुए उन्होंने एक टिक्की वाले से ठेला किनारे लगाने को कहा। यह साधारण-सी बात क्षेत्र में सक्रिय नशा कारोबारियों को नागवार गुज़री।इसके बाद मंटू राय, आकाश, भोलू, शिवा, मंटू राय की पत्नी, और बेटी पूजा ने अर्जुन कुमार पर न सिर्फ गाली-गलौज शुरू की, बल्कि उनकी पत्नी पूजा के सामने जान से मारने की कोशिश की।
📱 मोबाइल तोड़ा, सबूत छुपाने की कोशिश:जब अर्जुन कुमार ने हमले का वीडियो बनाने की कोशिश की, तो हमलावरों ने उनका मोबाइल छीनकर ज़मीन पर पटक दिया।🏃♂️ हमलावर पीछा करते हुए घर तक पहुंचे:हमलावरों का दुस्साहस इतना बढ़ चुका है कि वे पत्रकार के घर तक पहुंच गए और घर के बाहर मारपीट करने लगे। इस घटना से मोहल्ले में दहशत फैल गई।
घटना की जानकारी मिलते ही थाना ट्रांजिट कैंप पुलिस मौके पर पहुंची और दो आरोपियों को हिरासत में ले लिया।इस बीच पत्रकार अर्जुन कुमार ने विधायक शिव अरोड़ा को फोन पर घटना की जानकारी दी, जिस पर विधायक स्वयं थाने पहुंचे और थाना प्रभारी मोहनचंद पांडे की मौजूदगी में पीड़ित से पूरी जानकारी ली। विधायक ने पत्रकार को सुरक्षा और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया।🔍 अवैध कारोबारियों पर पहले से थे वीडियो जारी:गौरतलब है कि पत्रकार अर्जुन कुमार ने पहले भी क्षेत्र में चल रहे कच्ची शराब और गांजे के कारोबार को सोशल मीडिया पर उजागर किया था, जिससे माफिया बौखलाए हुए थे। पत्रकार के मुताबिक हमले की साजिश पहले से रची गई थी।
🚓 पुलिस की तत्परता, विधायक मौके पर:
🛑 पत्रकारों की सुरक्षा पर बड़ा सवालइस घटना ने न सिर्फ पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा किया है, बल्कि यह बताता है कि नशा कारोबारियों के हौसले किस हद तक बुलंद हो चुके हैं। यदि एक पत्रकार सुरक्षित नहीं, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित रहेगा? अब देखना होगा कि पुलिस बाकी फरार आरोपियों को कब तक पकड़ती है और नशे के इस पूरे नेटवर्क पर शिकंजा कब कसती है।
















