हल्द्वानी उपकारागार गेट पर धरना देने वाले जेलर समेत बंदी रक्षकों के खिलाफ कार्यवाही की उठी मांग, भेजा शिकायती पत्र।
- वकील संजीव आकाश ने सभी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही समेत स्थान्तरण की उठाई मांग।
- विचारधीन कैदी प्रवेश कुमार के मामले में दिया था धरना, सरकारी नियम एवं कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन करने के आरोप।
हल्द्वानी। हल्द्वानी उप कारागार आए दिन नए-नए कारनामों के साथ हमेशा सुर्खियों में बनी रहती है चाहे वह मौत के मामले में हो या फिर अन्य मामले हो। अभी एक ओर ऐसा मामला फिर सामने आया है जहां सरकारी नियम एवं कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन करने के आरोप में वकील संजीव कुमार आकाश द्वारा एक शिकायती पत्र जेल प्रशासन को भेजा है। जिसमें जेलर समेत बंदी रक्षकों द्वारा उप कारागार हल्द्वानी में बिना सरकार की अनुमति के हड़ताल में शामिल होने को लेकर भेजा है।
जेल प्रशासन को भेजे शिकायती पत्र में कहा गया है कि विगत 06/03/2021 को हल्द्वानी उप कारागार में विचाराधीन कैदी प्रवेश कुमार निवासी कुंडेश्वरी थाना काशीपुर की मृत्यु हो गई थी मृतक की पत्नी भारती द्वारा उप कारागार हल्द्वानी के चार बंदी पर मृतक प्रवेश कुमार को पीटने के वजह मृत्यु होने की रिपोर्ट 18 मार्च 2021 को कोतवाली हल्द्वानी, एसएसपी नैनीताल व उच्च अधिकारियों को प्रेषित की थी। जिस पर जेलर संजीव सिंह ह्यांकी सब जेल हल्द्वानी एवं बंदी रक्षक लईक, पवन गुसाईं व लगभग समस्त बंदी रक्षक जो कि कैदियों की सुरक्षा में लगे हुए थे।
बाईट – संजीव कुमार आकाश – एडवोकेट
नियमों को ताक पर रखते हुए इन सभी अधिकारियों ने उप कारागार हल्द्वानी के मुख्य गेट पर धरना प्रदर्शन किया था। जबकि उनका यह है कृत्य उत्तरांचल राज्य कर्मचारियों की नियमावली 2002 की धारा 5 क/ 5 ख 6 धारा-7 एवं उत्तर प्रदेश जेल मैन्युअल सेक्शन 1101 के अंतर्गत जेलर संजीव सिंह ह्यांकी ने अपने पद का दुरुपयोग कर समस्त बंदी रक्षकों को प्रदर्शन व हड़ताल के लिए उकसाया एवं समाचार पत्रों में प्रकाशन कराया जिससे उत्तराखंड जेल प्रशासन की छवि को ठेस पहुंची है। जिससे जेल में बंद सभी कैदियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया है जो भी इन सब लोगों का कार्य गैरकानूनी एवं भारतीय संविधान में दी गई व्यवस्थाओं के प्रतिकूल है।
वकील संजीव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पीके रंगराजन वर्सेस स्टेट ऑफ तमिलनाडु एवं अन्य मामलों में निर्णय एवं सिद्धांत दिया है कि किसी भी कर्मचारी का हड़ताल पर जाना ना तो संवैधानिक अधिकार है ओर न ही संवैधानिक अधिकार। उन्होंने कहा कि उक्त पूरे मामले की प्रार्थी के पास समाचार पत्रों के प्रकाशन की सुरक्षित है। उपरोक्त सभी ने उल्लंघन किया है जिस कारण जेल में बंद कैदियों के अधिकारों के साथ-साथ जीवन को भी खतरे में डाला है जो एक दंडनीय अपराध है। उन्होंने उक्त बंदी रक्षकों के साथ-साथ जेलर संजीव सिंह ह्यांकी को उनके द्वारा किए गए असंवैधानिक एवं विधि विरुद्ध कार्यों के साथ अनुशासनात्मक विभागीय कार्यवाही करने की माग की है साथ ही उन्होंने समस्त बंदी रक्षक एवं जेलर को स्थानांतरण करने की भी मांग की।