हल्द्वानी जेल में आखिर चल क्या रहा है, जेल मैनुअल तोड़ने वालों पर कार्रवाई कब!
इस पूरी पिक्चर में वही कहावत चरितार्थ होती है जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का।
पीड़ित परिवार न्याय को लिए सीएम, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग समेत सम्बंधित उच्चाधिकारियों को भेजे शिकायती पत्र।
ब्यूरो। हल्द्वानी उपकारागार में पिछले 6 मार्च को मारपीट के बाद हुई मौत के मामले पीड़ित के परिवार द्वारा कुछ बंदी रक्षकों पर लगाते हुए तहरीर सौपी गई थी। आज लगभग दो सप्ताह का समय बीतने के बाद भी अभी तक कार्यवाही करने पर आखिकार जेल प्रशासन क्यों मेहरबान बना हुआ है? जो अपने आप में एक सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। वही दूसरी ओर एक ओर सवाल खड़ा हो रहा जेल मैनुअल तोड़ने वालों पर अब कब तक प्रशासन कार्यवाही करता है फिर मेहरबानी बरतता है यह अब आने वाला समय ही बताएगा। हालाकि पीड़ित परिवार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, सीएम समेत उच्चाधिकारियों से शिकयती पत्र सौपकर कार्यवाही की मांग की है।
हालांकि पीड़िता को न्याय दिलाने का वादा करने वाले जेल प्रशासन ने अभी तक और ऑफिस बंदी रक्षकों को जेल से नहीं हटाया है और जेलर को भी अधीक्षक का चार्ज दे दिया गया है जबकि बंदी रक्षकों के समर्थन में आंदोलन करने वाले खुद जेलर संजीव सिंह ह्यांकी मौजूदा जेल अधीक्षक भी शामिल थे। ऐसे एक कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है कि “”जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का।””
विदित हो कि काशीपुर कुंडेश्वरी से गुहार लगाने आई एक महिला ने जेल प्रशासन पर अपने पति की हत्या का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी तथा इस मामले में हल्द्वानी कोतवाली में तहरीर सौपी थी। महिला द्वारा कोतवाली में दी गयी शिकायत में उन्होंने बताया है कि वह काशीपुर कुंडेश्वरी की रहने वाली है और काशीपुर पुलिस ने उनके पति को पारिवारिक अनबन के मामले में हल्द्वानी जेल भेजा था, हल्द्वानी जेल में कर्मचारियों द्वारा उन्हें पेड़ में बांध कर डंडों और लात घूसों से इतना मारा गया कि उनके पति की मौत हो गई। जेल प्रशासन से 6 मार्च शाम 5 बजे उनको सूचना मिली कि उनके पति की अस्पताल में मौत हो गई है और उन्हें पोस्टमार्टम हाउस हल्द्वानी बुलाया गया, जहां पोस्टमार्टम कर शव को उनको सुपुर्द कर दिया गया। लेकिन परिवार वालों को मृत्यु के कारणों की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गयी, जबकि उनके पति के शरीर पर चोट के निशान थे यही नहीं जेल में बंद मृतक कैदी की पत्नी का कहना है कि उस समय जेल में सितारगंज का राहुल श्रीवास्तव जो कि इस घटना का चश्मदीद है वह भी बंद था जब वह जमानत पर रिहा होकर आया तो उसने अपनी आंखो देखी सारी घटना उन्हें बताई, जिसके बाद मृतक की पत्नी ने हल्द्वानी कोतवाली पहुंचकर पुलिस को तहरीर दर्ज करने की मांग की। मगर पिछले लगभग 2 सप्ताह के करीब का समय बीतने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई है।। जिन बन्दी रक्षकों पर आरोप लगे है वह अभी भी तैनात है। जो अपने आप मे सवालियां निशान खड़े कर रहे है?अब इस पूरी पिक्चर में वही कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। फ़िलहाल जेल अधीक्षक ह्यांकी जी से फोन पर सम्पर्क करने का प्रयास किया मगर सम्पर्क नही हो पाया। अगर उनका इस मामले में कोई भी बयान आयेगा तो वह बयान भी खबर में प्रकाशित किया जाएगा।