आखिरकार 3 अप्रैल के अवैध मांस को किसके कहने पर हटाया गया?
पुलिसकर्मियों व नगरपालिका के एक अधिकारी की कार्यप्रणाली पर उठ रहे है सवाल!
डॉक्टर की बिना जांच के ही पुलिस ने आखिर किसके सुपुर्द किया अवैध मांस!
किच्छा। थाना पुलभट्टा क्षेत्रान्तर्गत सिरौली कला में 3 अप्रैल को एक ही समुदाय के बीच हुआ मारपीट का मामला काफी इस समय काफी सुर्खियां बटोर रहा है। हालांकि सूत्रों की माने तो इस मामले में शायद दोनों पक्षों की तहरीर के आधार पर शायद सम्बंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया! अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मामला है क्या?
बाईट – हाजी इदरीश कुरैशी
आप को बता दे कि किच्छा के थाना पुलभट्टा अंतर्गत सिरौलीकला में एक स्लाटर हाउस है और उसका ठेका भाजपा नेता हाजी इदरीश के नाम है। हाजी इदरीश ने बताया कि विगत 3 अप्रैल को मुखबिर से सूचना मिली कि वार्ड 18 में अवैध रूप से मांस काटा जा रहा है जिस जिस पर उन्होंने उन्होंने 112 पर सूचना दी तथा थाना पुलभट्टा पुलिस मौके पर पहुंची। जहाँ दो पक्ष आमने सामने आ और काफी कहासुनी हो गई। जिसमे दोनों हाजी इदरीश व दूसरे पक्ष ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए थाना पुलभट्टा पुलिस को तहरीर सौपी।मगर इस सबसे अलग हटकर एक मामला सामने आ रहा है और वह यह था जब मोके पर पुलिस व किच्छा नगर पालिका का एक बाबू मोके पर तो उन्होंने अवैध तरीके से कट रहे मास का पकड़ा था मगर उस अवैध मास को दूसरे पक्ष (जिसके द्वारा काटा गया) के सुपूर्द कैसे कर दिया गया? जो अपने आप मे प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहा है कि आखिरकार किसके दवाब में उक्त मांस की बिना डॉक्टर से परीक्षण कराए ही उसको वैध साबित कर दिया? जबकि जानकरों की मानें तो कोई भी पकड़ा गया मांस की पहले डॉक्टर से जांच होती है उसके बाद ही उक्त मास की पुष्टि होती है कि वह आखिर मांस किसका है। मगर इन सबको दर किनार करते हुए मामले को घुमाते हुए कुछ और ही तरह से रंग देते हुए मुकदमा हो गया है। ऐसे में नगरपालिका के अधिकारी व पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में नजर आ रही है? वही इस मामले में नगर पालिका किच्छा के अधिकारी से जानकारी लेने के लिए फोन किया तो उन्होंने नियम के अनुरूप व डॉक्टरी परीक्षण की बात कही।
बाईट – डॉ. पीएस ह्यांकी
जब इस मामले डॉक्टर पीएस ह्यांकी मुलाकात की तो उन्होंने बेहद ही चौकाने वाली बात बताई। उन्होंने बताया कि वह 3 तारिक को ड्यूटी पर ही तैनात थे ओर उन्हें इस तरह के किसी मामले में कोई परीक्षण नही किया हैं और न ही उनको नगर पालिका व पुलिस द्वारा कोई सूचना नही दी गई थी। ऐसे में पुलिस व नगरपालिका के अधिकारी की भूमिका बेहद ही संदिग्ध नजर आ रही है। जो कई तरह के प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है।