पढ़िये… आखिर कार क्यों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन ने किया सत्याग्रह
मेडिकल कॉलेज का एक सेनानी पंडित शुक्ल का नाम बदलकर सरदार बल्लभ भाई पटेल का नाम रखने का प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है व दोनों महान सेनानियों का अपमान है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा : जिलाध्यक्ष लोहनी
रुद्रपुर। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन जिला उधम सिंह नगर में आज प्रदेश उपाध्यक्ष जगत सिंह परिहार के नेतृत्व में गांधी पार्क रूद्रपुर महात्मा गांधी जी की प्रतिमा के नीचे बैठकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं तराई के संस्थापक स्वर्गीय पंडित राम सुमेर शुक्ला जी के नाम से 5 वर्ष पूर्व नामित मेडिकल कॉलेज का नाम बदलने को लेकर की जा रही घटिया राजनीति व बयानबाजी के विरुद्ध सत्याग्रह किया।
इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिला अध्यक्ष मनोहर चंद लोहनी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज हल्द्वानी में इसको नकार कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान किया, उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था का नाम यदि किसी भी सेनानी/शहीद के नाम पर है तो उसे बदलने की बजाय किसी भी नई संस्था का नाम दूसरे सेनानी/शहीद के नाम पर रखा जा सकता है।
जिला पंचायत द्वारा यदि वास्तव में सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर गंभीरता है तो 20 वर्षों से इसी परिवार के पास जिला पंचायत अध्यक्ष का पद है पूर्व में किसी भी संस्था का नाम पटेल जी के नाम पर रखने का प्रस्ताव क्यों नहीं किया गया और आज भी राज्य में व जिले में कई संस्थान बन रहे हैं जिनका नाम पटेल जी के नाम पर रखने का प्रस्ताव किया जा सकता था परंतु मेडिकल कॉलेज का एक सेनानी पंडित शुक्ल का नाम बदलकर सरदार बल्लभ भाई पटेल का नाम रखने का प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है व दोनों महान सेनानियों का अपमान है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के नेता अविनाश गुप्ता ने कहा कि पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ द्वारा यह बयान देना कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सौदेबाजी करके पंडित शुक्ल के नाम से इस मेडिकल कॉलेज का नाम रखा यह हरीश रावत जी का भी अपमान है व सेनानी परिवारों का भी?
क्योंकि पंडित राम सुमेर शुक्ला जन्म शताब्दी समारोह 28 नवंबर 2015 रामलीला मैदान रुद्रपुर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के आमंत्रण पर हजारों लोगों के बीच मुख्य अतिथि के रुप में पधारे तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने सार्वजनिक घोषणा भी की थी कि तराई के संस्थापक स्वर्गीय शुक्ल के नाम पर मेडिकल कॉलेज रुद्रपुर का नाम रखा जाएगा तथा कार्यक्रम दलगत रूप से अलग था व पंडित शुक्ला के पुत्र व विधायक राजेश शुक्ला उत्तराधिकारी संगठन के संयोजक के नाते इस कार्यक्रम के संयोजक थे। उक्त कार्यक्रम में तत्कालीन भाजपा सांसद मनोज तिवारी व राज्यसभा सांसद तरुण विजय भी उपस्थित थे।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह ने कहा कि स्वर्गीय पंडित राम सुमेर शुक्ला एक महान क्रांतिकारी व सेनानी थे, अखिल भारतीय छात्र कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व में जो आजादी की लड़ाई छात्रों ने लड़ी उसमें उनके सहयोगी श्री हेमवती नंदन बहुगुणा व श्री नारायण दत्त तिवारी जैसे नेता भी रहे। आजादी के बाद उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू व पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी के नेतृत्व में तराई बसाने का काम किया तथा उस समय के तराई की भूमि पर नक्सलाइट लोगों द्वारा किए जा रहे जबरन कब्जे को रोकने पर उनपर प्राणघाट हमला भी हुआ था, उनका अपमान करने का किसी को भी हक नहीं है तथा इस मेडिकल कॉलेज के पहले से ही उनके नाम पर इंटर कॉलेज, सड़क व उनकी प्रतिमा स्थापित है जिसकी सैंक्शन तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी जी ने की थी। उस समय तो राजेश शुक्ला विधायक भी नहीं थे।
सत्याग्रह में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारीयो ने पंडित शुक्ला के विरुद्ध बयानबाजी करके उनका अपमान करने वालों की घोर निंदा भी की गई तथा इस पूरे प्रकरण को खारिज करने पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का आभार जताया गया तथा वर्षों से लंबित इस मेडिकल कॉलेज को पूरा कराने हेतु अथक प्रयास करने वाले व भारत सरकार से 345 करोड़ व राज्य सरकार से ₹45 करोड़ मंजूर कराने वाले विधायक राजेश शुक्ला, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री अश्वनी चौबे व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आभार जताया गया। बैठक में इस मेडिकल कॉलेज का 5 वर्ष पूर्व पंडित राम सुमेर शुक्ला के नाम पर रखकर सार्वजनिक रूप से की गई अपनी घोषणा को पूरा करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का भी पुनः आभार प्रकट किया गया है तथा राजनेताओं से अपील की गई कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीदों को जाति व क्षेत्र के नाम पर मत बांटो क्योंकि इन्होंने पूरे देश के लिए भारत माता के लिए यातनाएं सही, जेल काटी व कुर्बानियां दी थी। अध्यक्षीय भाषण के बाद 1 घंटे तक चले सत्याग्रह का समापन किया गया।
सत्याग्रह में अविनाश गुप्ता, जितेंद्र तिवारी, अजय तिवारी, रमेश चतुर्वेदी, संजीव पांडे, कृष्ण कान्हा तिवारी, दिग्विजय सिंह, दीपक मिश्रा, प्रताप सिंह, कृष्णकांत तिवारी, जितेंद्र त्रिपाठी, नीरज खुग्गर, नवनीत मिश्रा, कृष्णकांत तिवारी, शुभाशीष बिष्ट, चंदन मिश्रा, नरेश मिश्रा, उदय शंकर तिवारी, रविंद्र पाठक, भरत मिश्रा, रविंद्र मणि त्रिपाठी, ज्ञान तिवारी, सुशील यादव, सौरभ प्रताप सिंह, रघुनाथ वर्मा, विजेंदर चौधरी, पंकज अरोरा, योगेश तिवारी, प्रवेश तिवारी, आलोक राय, नारायण पाठक, दिग्विजय सिंह खाती, राजेश मिश्रा, अजय चतुर्वेदी, गुड्डू दुबे, रमाशंकर पांडे, बालकृष्ण पांडे, पंकज पांडे, मयंक तिवारी, राम कुमार पांडे मौजूद थे।