खनन की वर्चस्व लड़ाई में किच्छा के शान्तिपुरी में हो चुकी है कई हत्याएं।
- प्रशासन की हीलाहवाली के चलते इन माफियाओं के हौसले हो रहे है लगातार बुलंद।
- कई बार शान्तिपुरी मे गूंज चुकी है गोलियों की तड़तड़ाहट।
- लोगों में आक्रोश- महज कुछ डंपर व जेसीबी को कब्जे में लेकर कर ली जाती है इतिश्री।
- इन माफियाओं के खिलाफ नही होती कोई सख्त कार्यवाही, जिसके चलते नियम रखे जा रहे ताक पर।
- इस खनन के खेल में भाजपा नेता, छात्र नेता समेत कई लोगो की जा चुकी है जान।
रुद्रपुर/किच्छा। किच्छा विधानसभा के शांतिपुरी क्षेत्र में खनन के वैध पट्टो की आड़ में अवैध खनन का खेल जोरो पर है। मगर प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नही जाता है। महज खानापूर्ति कर कुछ पर कार्यवाही कर इतिश्री कर ली जाती है। इतना ही नही शान्तिपुरी के आस भी यह खेल जोरों पर है। इस खनन की वर्चस्व लड़ाई में अब तक ऊधम सिंह नगर समेत किच्छा विधानसभा के इस क्षेत्र में कई घरों के चिराग बुझ चुके है। मगर फिर भी सम्बंधित विभाग व प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नही जाता है। किच्छा के बंडिया से लेकर शान्तिपुरी तक वैध की आड़ में अवैध का धंधा तेजी से चल रहा है।
आप को बताते चले कि किच्छा के बंडिया से शांतिपुरी व इसके आसपास के क्षेत्र में खनन पट्टे की आड़ में अवैध खनन का काम जोरों से चल रहा है। अगर प्रशासन सही तरह से जांच करे तो इन माफियाओं द्वारा सरकार को करोड़ो का चुना लगा चुका है। मगर प्रशासन की हीलाहवाली के चलते अबतक अवैध खनन के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि, प्रशासन की टीम खाना पूर्ति के लिए मौके पर पहुंच कर कुछ डंपर व जेसीबी को कब्जे में लेकर इतिश्री करते आए हैं। जिनसे इनके हौसले लगातार बुलंद है।
वही प्रदेश बनने से पूर्व ही शान्तिपुरी क्षेत्र में खनन के कार्य मे वर्चस्व को लेकर कई हत्याकांड हो चुके है जिसमे न जाने कई लोगो ने अपनो को खोया है। बताया जाता है कि खनन को लेकर शांतिपुरी में पहली हत्या 1999 में हरीश रावत नामक व्यक्ति की हत्या की गई थी। उसके बाद वर्ष 2001 में शांतिपुरी नंबर 2 में दो युवाओं मुन्ना व नीतू की हत्या कर दी गई थी। वर्ष 2003 में खनन के वर्चस्व को लेकर योगेंद्र चौहान की गोली मार कर हत्या कर दी थी। कुछ वर्ष बाद 2009 में खनन को लेकर फिर गोलियां चलीं और रोहित तिवारी की हत्या कर दी गई। जिसके बाद 2014 में दबंग व पूर्व छात्र नेता प्रताप बिष्ट की हत्या कर दी थी ओर अब वर्ष 2022 में इस अवैध खनन को लेकर भाजपा नेता संदीप कार्की की हत्या कर दी गई है।
उधर लोगों में इन हत्याकांडों को लेकर भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। आरोप लगा रहे है कि अगर प्रशाशन व पुलिस इन पर सही तरह से कार्यवाही करता तो आज यह दिन देखने को नही मिलते। विभाग भी ऐसी जगह पर पट्टे आवंटित करता है जहाँ जिनका कोई औचित्य नही होता है। जहाँ न तो रास्ता होता है न कोई अन्य साधन। जिसको लेकर हमेशा आये दिन विवाद होते रहते है। वही पुलिस भी इन खनन करने वालो पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही है। काली मंदिर चौकी से लेकर शान्तिपुरी तक वाहनों एक एक रवलटी से ओवर लोड भरकर कई कई चक्कर लगाए जाते है। इन ओवरलोड वाहनों व एक एक रवलटी पर कई कई चक्कर लगाने वाले वाहनों पर भी कार्यवाही नही होती है।