चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज मे हर्षोल्लास के साथ मनाई डॉ. हैनीमैन जयंती।

मुख्य अतिथि सांसद अजय भट्ट, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला व चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के एमडी डॉ.किशोर चंदोला ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया शुभारम्भ।

उत्तराखण्ड प्रदेश का नामचीन रुद्रपुर के किच्छा रोड पर स्थित चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में 10 अप्रैल के अवसर पर होम्योपैथी के जनक डॉ.हैनीमैन की जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई गई…इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप मे ऊधम सिंह नगर – नैनीताल लोकसभा से भाजपा सांसद एवं पूर्व रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक राजेश शुक्ला,राज्य के पूर्व महाधिवक्ता उमाकांत उनियाल, चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के एमडी डॉ.किशोर चंदोला, मंडी समिति किच्छा और रुद्रपुर डिग्री कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता कमलेंद्र सेमवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया..

इस अवसर पर राज्य के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक एल एम उप्रेती, भाजपा नेता अमित नारंग, लवी सहगल, हरेंद्र बिष्ट, योगेश वर्मा, मुकेश चतुर्वेदी, शिक्षक नेता गुलाब सिंह सिरोही सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे…मेडिकल कॉलेज में आयोजित हुए कार्यक्रम में स्कूली छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया…

इसके अलावा कार्यक्रम में चिकित्सकों ने डॉक्टर हैनीमैन द्वारा प्रतिपादित रोग निवारण सिद्धांतों व होम्योपैथिक को और उपयोगी कैसे बनाया जाए इस विषय पर अपने विचार रखे…उधर कार्यक्रम में पूर्व विधायक राजेश शुक्ला की मांग पर मेडिकल कॉलेज परिसर में निर्माण कार्य के लिए प्रारंभिक तौर पर स्थानीय सांसद ने ₹500000 देने की घोषणा भी मंच से की…

हम आपको बता दें कि जर्मनी के ड्रेसडेन में जन्मे डॉ हैनीमैन पहले एलोपैथी के डॉक्टर थे और उन्होंने चिकित्सा विज्ञान में एक बड़ा बदलाव लाते हुए होम्योपैथी की खोज की थी उन्होंने “सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरेन्चर” का सिद्धांत दिया,जिसका मतलब है “समरूप लक्षणों से ही रोग का उपचार संभव है” हैनीमैन ने यह साबित किया कि बहुत कम मात्रा में दवा देकर भी जटिल बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है…शुरुआत में एलोपैथिक डॉक्टरों ने इस सिद्धांत का विरोध किया लेकिन धीरे-धीरे होम्योपैथी की सफलता को देखकर उनका विरोध कम हो गया…आज होम्योपैथी दुनिया भर में चिकित्सा के क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे मान्यता दी है…वर्तमान समय में दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहाँ इसके डॉक्टर न हों,होम्योपैथी का जन्म जर्मनी में हुआ लेकिन यूरोप,अमेरिका,भारत,पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी इसके बेहतरीन मेडिकल कॉलेज हैं…

चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल में कॉलेज में आयोजित हुए कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि होम्योपैथी न केवल बीमारियों का इलाज करती है बल्कि यह व्यक्ति की पूरी जीवनशैली को बेहतर बनाने में भी मदद करती है…इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति आज लगभग 90 प्रतिशत ऑपरेशन की आवश्यकता को खत्म कर सकती है,यह एक सुरक्षित सस्ती और प्रभावी चिकित्सा प्रणाली के रूप में पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही है और यही कारण है कि आजकल होम्योपैथिक शिक्षा में दाखिले के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा है क्योंकि अब युवा इस पद्धति की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं।















