अवैध रूप से साल पेड़ कटान मामले में सम्बंधित विभागीय कर्मियों पर गिरी गाज।
- कालसी वन प्रभाग के चौहड़पुर रेंज के रेंजर, वन दरोगा, वन आरक्षी को किया गया सस्पेंड।
- तहसील कर्मचारियों पर गाज गिरनी तय, तहसील प्रशासन में मचा हड़कंप।
विकासनगर। विकासनगर तहसील अंतर्गत बाड़वाला के राजावाला में बड़े पैमाने पर हुए साल के अवैध कटान मामले में आखिरकार संबंधित विभागीय कर्मियों पर गाज गिरनी शुरू हो चुकी है। जिसके चलते हाईकोर्ट के आदेश पर पीसीसीएफ द्वारा जांच कर पेश की गई रिपोर्ट के बाद कालसी वन प्रभाग के चौहड़पुर रेंज के रेंजर ए डी सिद्दीकी, वन दरोगा महावीर चौहान और वन आरक्षी रीता रावत को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं लम्बे समय बाद हुई वन कर्मियों पर कार्रवाई के बाद तहसील कर्मियों पर भी गाज गिरना तय है, जिससे तहसील प्रशासन में हड़कंप का माहौल है।
दरअसल आपको बता दें कि बाड़वाला के राजावाला गांव में जंगल से लगते प्राइवेट भूमि से पिछले लम्बे समय से प्रतिबंधित प्रजाति के साल के पेड़ों का अवैध कटान जारी था, जिसका खुलासा सन् 2020 में नवक्रांति मोर्चा द्वारा शिकायत से सामने आया। लेकिन लकड़ी माफियाओं और भूमाफियों का आतंक नहीं रूका। जिसके चलते सन् 2021 में सामाजिक कार्यकर्ता राकेश तोमर उत्तराखंडी द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। जिस पर हाईकोर्ट ने हाल ही में हाईकोर्ट द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए, संबंधित विभागों की संलिप्तता पर कार्रवाई किए जाने और पीसीसीएफ द्वारा जांच कर जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। जिसके चलते तीन दिन पूर्व पीसीसीएफ विनोद सिंघल सहित जांच टीम ने मौके का निरीक्षण पर अपनी जांच रिपोर्ट पेश की। जिसके चलते जांच रिपोर्ट के आधार पर वन विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा कालसी वन प्रभाग के चौहड़पुर रेंज के रेंजर ए डी सिद्दीकी, वन दरोगा महावीर चौहान और वन आरक्षी रीता रावत को सस्पेंड कर दिया गया।
बाईट : राकेश तोमर उत्तराखंडी, याचिकाकर्ता
जिसको लेकर याचिकाकर्ता राकेश तोमर ने आज एक पत्रकार वार्ता के दौरान इस कार्रवाई को सच की जीत बताया और कहा कि संबंधित विभागों की मिलीभगत के चलते इतने बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित पेड़ों का कटान कर पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाया गया। राकेश तोमर ने कहा कि वन विभाग ने खानापूर्ति वाली कार्रवाई कर अपने को बचाने की कोशिश की, जबकि हजारों की संख्या में हुए पेड़ों का अवैध कटान हुआ। उन्होंने कहा कि वन विभाग के बाद अब तहसील प्रशासन पर भी गाज गिरना तय है।