बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे किच्छा के निजी अस्पताल को किया गया सील।
पूर्व में भी कई बार की जा चुकी है कार्यवाही, मगर बिना किसी ख़ौफ़ के कर रहे है हॉस्पिटल का संचालन।
किच्छा। जनपद ऊधम सिंह नगर के किच्छा कोतवाली अंतर्गत क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा खुलेआम मरीजों के स्वास्थ्य एवं जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है तथा बिना डिग्री व स्वास्थ्य विभाग में बिना रजिस्ट्रेशन के झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा अस्पताल खोलकर मरीजों के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला किच्छा कोतवाली अंतर्गत वार्ड 19 में देखने को मिला। जहाँ स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल को सील कर दिया।
लगातार मिल रही शिकायतों पर स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन की टीम जब किच्छा के वार्ड 19 में लाइफ लाइन अस्पताल पहुंची तो टीम के होश उड़ गए। अस्पताल में एक मरीज का पेट का ऑपरेशन किया गया था जबकि दूसरे मरीज के ऑपरेशन की तैयारी की जा रही थी। उधम सिंह नगर जिले के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर तपन शर्मा के नेतृत्व में प्रशासन की टीम ने लाइफ लाइन अस्पताल में छापामार कार्यवाही की। कार्यवाही के दौरान अस्पताल में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं था।
अस्पताल में भर्ती किए गए दोनों मरीजों को प्रशासन की टीम ने उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिजवा दिया। जांच के दौरान लाइफ लाइन अस्पताल का प्रबंधक कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाया। जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि निजी अस्पताल का 2 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है। पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। फिलहाल प्रशासन की टीम में तमाम अनियमितताएं तथा खामियां पाए जाने पर जनहित में लाइफ लाइन अस्पताल को सील कर दिया। विगत 28 मई को भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इसी अस्पताल में छापामार कार्यवाही करते हुए खामियां पाए जाने पर 25,000 का जुर्माना किया था बाबजूद इसके अस्पताल में मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जारी रहा। बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे लाइफ लाइन अस्पताल के संचालन को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे पूर्व भी कई बार इस अस्पताल पर कार्यवाही की जा चुकी है मगर विभाग की लापरवाही से यह हॉस्पिटल संचालक बिना किसी ख़ौफ़ के धड़ल्ले से हॉस्पिटल चलते है।
अब सवाल यह उठता है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते 2 वर्षों से निजी अस्पताल का संचालन करते हुए मरीजों के ऑपरेशन किए जाने की जानकारी आखिर विभाग को क्यों नहीं मिली तथा क्यो कार्यवाही नही की गई।