उत्तराखंड की जेलों में चलती है बंदीरक्षकों की दादागिरी, जेल प्रशासन ने साधी चुप्पी!
जेल मैनुअल एक्ट, उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली की धज्जियां उड़ाने वालों पर आखिर कार्यवाही कब?
रुद्रपुर/हल्द्वानी। उत्तराखंड की अधिकतर जेलों में सिर्फ बन्दी रक्षकों की सिर्फ दादागिरी चलती जिनके आगे सभी नतमस्तक है। चाहे हरिद्वार, अल्मोड़ा, सितारगंज या फिर हल्द्वानी की उप कारागार जेल हो। लेकिन इन सब मे सबसे अलग है प्रदेश की दूसरी बड़ी जेल हल्द्वानी उप कारागार। जहाँ आये दिन बन्दी रक्षकों के कारनामे सामने आते रहते है।
अभी हाल मे नैनीताल जनपद के हल्द्वानी में स्थित उप कारागार के बंदीरक्षको एक ओर फिर मामला सामने आया है। जहाँ बंदी रक्षकों ने एक कैदी को इतना मारा की उसके प्राण पेरुख हो गए। बेहद शर्मनाक बात तब सामने आई जब कैदी की मौत होने की सही जानकारी परिजनों को भी नही दी और अपने उच्चाधिकारियों को भी मामले से अवगत कराना भी जरूरी नही समझा।
जब इस मामले मृतक कैदी की पत्नी द्वारा बंदी रक्षकों पर लगाए गए हत्या के आरोप को देखते हुए जब जेल अधीक्षक मुकदमा लिखवाने की तहरीर देते हैं तो पलटवार में जिन पर हत्या के आरोप लगते है वह बंदी रक्षक अपने ही जेल अधीक्षक के खिलाफ लामबंद हो जाते है। जो अपने आप मे ही बड़ी हैरानी करने वाली बात यह कैदी को पीटने वाले बंदी रक्षकों के साथ जेलर भी सुर में ताल ठोंकते हुए जेल मैनुअल एक्ट के साथ साथ उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली की धज्जियां उड़ाते हुए जेल के गेट पर बंदी रक्षकों समेत जेलर साहब भी जेल अधीक्षक के विरुद्ध किए जा रहे प्रदर्शन में शामिल हो जाते है। जो धरना प्रदर्शन करना कर्मचारी आचरण नियमावली २००२ के पैरा ५(क) का उल्लंघन है।
हालांकि पूर्व में भी बंदिरक्षको द्वारा इस तरह की अनुशासनहीनता की गयी पर उनके विरुद्ध भी अभी तक कोई कार्यवाही नही हो पाई। 01.02.2016 को अल्मोड़ा जेल में ऐसी ही घटना हुई लेकिन आरोपित बंदिरक्षको के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नही हुई। बंदीरक्षकों के विरुद्ध हरिद्वार में मारपीट का रुड़की में रंगदारी माँगने का तथा सितारगंज में बंदी की पत्नी से छेड़ छाड का मुक़दमा दर्ज है। यही हल्द्वानी में लगभग एक साल पूर्व जेल एक विचाराधीन कैदी का हाथ भी बंदीरक्षक द्वारा तोड़ दिया था। ऐसे अनेक मामले है जिसमे अभी तक कार्यवाही “”महज ढाक के तीन पात है”” नजर आ रही है।
बाईट – आरपी सिंह , पूर्व अध्यक्ष, बार एसोसिएशन, ऊधम सिंह नगर
जनता के जहन में सवाल उठते है कि अनुशासित माने जाने वाली फोर्स बंदी रक्षक है या फिर जेलर आखिर वह किस प्रकार खुलेतौर पर प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं? बावजूद इसके जेल के उच्च अधिकारियों द्वारा अनुशासन की धज्जियां उड़ाने वाले कैदी की मौत के जिम्मेदार बंदीरक्षकों और जेलर के विरोध कार्रवाई के बजाय उल्टा उच्च अधिकारी आनन-फानन में जेल अधीक्षक को ही बिना किसी जांच के ही वहां से रुखसत कर दिया जाता है। जबकि जिन पर आरोप लगे है वह बंदीरक्षक अभी भी वही तैनात है। इस घटना को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है हल्द्वानी जेल में रहे बंदीरक्षकों की दादागिरी का खूब बोलवाला है।
आप को बता दे कि अभी भी आरोपों के बाद भी जेल प्रशासन के द्वारा आरोपित बंदी रक्षकों को हटाया नहीं गया है, जिससे साफ जाहिर होता है कि जाँच में झोल होने की पूरी संभावना है, इसी कारण निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं है। वही दूसरी ओर शिकायतकर्ता का कहना है कि आरोपितों को पहले हटाया जाए और उसके बाद जांच शुरू की जाए। मगर अभी तक आरोपित बन्दी रक्षक वही तैनात है। परंतु जिस प्रकार बंदी रक्षकों द्वारा जेलर को अपने साथ मिलाकर अनुशासन की धज्जियां उड़ाते हुए अपने ही वरिष्ठ अधिकारी जेल अधीक्षक के विरुद्ध हल्द्वानी जेल के बाहर इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया गया वह अनुशासन के अनुरूप बिल्कुल भी सही नहीं माना जा सकता। साथ ही जिस प्रकार आईजी कारागार द्वारा बंदी रक्षकों के प्रदर्शन से दबाव में आते हुए जेल की व्यवस्था सुधारने में लगे जेल अधीक्षक को ही हल्द्वानी से रुखसत कर दिया गया। मगर अभी भी हत्या के आरोपी बन्दी रक्षकों पर इतनी मेहरबानी क्यो?? जो अपने आप मे बड़े ही सवालिया निशान खड़े कर रहा है? फ़िलहाल यह तो साफ नजर आ रहा है कि हल्द्वानी उपकरागर में सिर्फ बन्दी रक्षकों का ही बोलबाला है।
सूत्रों की माने तो अभी हाल ही में हल्द्वानी जेल में बंद एक बन्दी ने भी ऊधम सिंह नगर ज़िला जज के यहां मारपीट एवं पैसा माँगने की शिकायत की है। इसके अतिरिक्त अन्य न्यायालय में भी ऐसी ही शिकायतें की गयी है।