लकड़ी लेने जंगल गए युवक पर बाघ ने बोला हमला, दर्दनाक मौत।

रामनगर। रामनगर क्षेत्र से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, रामनगर वन प्रभाग के तराई पश्चिमी क्षेत्र की उत्तरी आमपानी बीट में स्थित सक्कनपुर गांव (पिरूमदारा) में आज सुबह 9बजे एक युवक की बाघ के हमले में मौत हो गई,मृतक की पहचान 35 वर्षीय विनोद कुमार पुत्र जबर सिंह, निवासी सक्कनपुर पिरूमदारा के रूप में हुई है।घटना सोमवार सुबह की है, जब विनोद कुमार अपने गांव के कुछ अन्य लोगों के साथ लकड़ी लेने के लिए जंगल की ओर गया था, बताया जा रहा है कि गांव में एक पारिवारिक शादी थी और उसी सिलसिले में सभी लोग लकड़ी लेने जंगल गए थे,इसी दौरान सक्कनपुर क्षेत्र के कामदेवपुर गांव के पास जंगल के किनारे बाघ ने अचानक विनोद पर हमला कर दिया।बाघ ने विनोद को दबोच लिया और घसीटते हुए जंगल के भीतर करीब 100 मीटर अंदर ले गया,साथ में मौजूद लोगों ने जब शोर मचाया तो बाघ युवक को छोड़कर जंगल में और भीतर चला गया,हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी, विनोद की मौके पर ही मौत हो चुकी थी और उसका शव लहूलुहान हालत में मिला।

घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है, ग्रामीणों में भारी रोष देखा जा रहा है, मृतक के भाई राकेश कुमार ने बताया,मेरा भाई सिर्फ लकड़ी लेने गया था, लेकिन जंगल के किनारे ही बाघ ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया, हम सरकार से मांग करते हैं कि गांव के पास मंडरा रहे बाघ को तुरंत ट्रेंकुलाइज कर पकड़ लिया जाए।घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। तराई पश्चिमी के एसडीओ मनीष जोशी भी अस्पताल पहुंचे, जहां विनोद को ले जाया गया था,उन्होंने बताया,बाघ के हमले में युवक को गंभीर चोटें आई थीं,अस्पताल लाते वक्त उसकी मौत हो चुकी थी। मामले में कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है और बाघ की गतिविधियों को लेकर उच्चाधिकारियों से चर्चा के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।ग्रामीणों की मांग है कि इस इलाके में बाघ की बढ़ती गतिविधियों को तुरंत रोका जाए और पीड़ित परिवार को मुआवजा तथा सुरक्षा मुहैया कराई जाए,स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इलाका लगातार मानव-वन्यजीव संघर्ष की चपेट में आ रहा है, लेकिन विभागीय कार्रवाई में देर हो रही है। वन विभाग की ओर से बाघ को ट्रेंकुलाइज करने या पकड़ने की प्रक्रिया जल्द शुरू किए जाने की संभावना है,वहीं दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे जंगल की ओर अकेले या बिना सुरक्षा के न जाएंयह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष कब थमेगा। क्या ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जंगल की सीमाओं पर निगरानी व्यवस्था मजबूत की जाएगी? यह भविष्य की नीति और कार्यवाही पर निर्भर करेगा।
