वाह रे सिस्टम :- अवैध खनन में लिप्त जेसीबी को सीज करना पटवारी को पड़ा भारी, हुआ ट्रांसफर।
- सूत्रों की माने तो रपटा पुल के पास हो रहे खनन पट्टे को निरस्त करने का किया गया था अनुमोदन?
- निरस्त करने के अनुमोदन के बाद किसके इशारे पर फिर दोबारा हुआ था स्वीकृत?
- पट्टे की आड़ में मिल रही थी अवैध खनन की शिकायतें, शिकायत पर पर पटवारी ने की थी कार्यवाही?
- मिला सिस्टम से ईनाम, कार्यवाही करने वाले पटवारी का जसपुर तहसील हुआ ट्रांसफर?
- शासन व सत्ता में मजबूत पकड़ के चलते नही पड़ा जुर्माना, सिर्फ हिदायत देकर कर दी इतिश्री?
- किच्छा क्षेत्र में पटवारी के स्थान्तरण होने के बाद विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे है सवालिया निशान।
किच्छा। हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद खनन कार्य मे जेसीबी व पोकलैंड मशीनों का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा था। ऐसे में एक किच्छा क्षेत्र में खनन माफिया की सत्ता में मजबूत पकड़ के चलते एक राजस्व उपनिरीक्षक को जेसीबी सीज करना भारी पड़ गया। प्रशासन ने उसे जनपद के दूसरे क्षेत्र पर ट्रासंफर भी कर दिया। जिस पर प्रशासन की इस कार्यवाही से सवालिया निशान खड़े हो रहे है तथा प्रश्न चिन्ह भी लग रहे है।
चर्चा भी है इस माफ़िया केखिलाफ खनन पर कार्रवाई करने वाले इस पटवारी का ट्रांसफर आखिर प्रशासन के किस बड़े अधिकारी और राजनेता के इशारे पर किया गया है? तो वही इस बात की भी चर्चा है कि किच्छा रपटा पुल के समीप गलत तरीके से अवैध खनन भी किया गया मगर इसके खिलाफ कोई भी जुर्माने डालने की कार्यवाही क्यों नही की गई? क्यों इस क्षेत्र में अवैध खनन करने वाले को सिर्फ हिदायत दी गई? जबकि पूर्व में भी इस पट्टे को निरस्त करने की कार्यवही की गई तो फिर दोबारा उसी जगह पर कार्य करने की अनुमति किसके इशारों पर दी गई?
आप को बताते चले कि किच्छा राजस्व विभाग की टीम ने विगत 20 अप्रैल को पुरानी मंडी स्थित रपटा पुल के नजदीक गौला में अवैध खनन के खिलाफ छापेमार कार्यवाही की थी। माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड के निर्णयानुसार जेसीबी से खनन पर पूरी तरह पाबन्दी होने के बाबजूद जेसीबी से धड़ल्ले से खनन कार्य किया जा रहा था। जिसमें मौके से राजस्व विभाग ने उक्त जेसीबी पकड़कर तहसील मुख्यालय किच्छा में सीज कर दिया। मगर अवैध खनन के खिलाफ अचानक हुई छापामार कार्यवाही से खनन व्यवसायी के शासन और सत्ता में बैठे शुभचिंतकों को इतनी नागवार गुजरी कि एकाएक किच्छा राजस्व टीम में शामिल क्षेत्रीय पटवारी का स्थानांतरण किच्छा तहसील से जसपुर तहसील में करा दिया गया।
अगर इस तरह अवैध खनन कार्यवाही करने वाले अधिकारियों को इतना बड़ा ईनाम मिलेगा तो भविष्य में कोई भी अधिकारी कार्यवाही करने से बचेगा? वही दूसरी ओर पटवारी के खिलाफ हुई स्थानांतरण की कार्यवाही से खनन व्यवसायियों के हौंसले बुलंद है। जबकि क्षेत्र में राजस्व विभाग के कर्मचारियों में अफरा तफरी का माहौल है, सभी कर्मचारी इस मामले से पल्ला छुड़ाते नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर अवैध खनन व्यवसायियों की उनके आकाओं की शासन और सत्ता मजबूत पकड़ के चलते इनके हौसले बुलंद है तथा कही न कहीं अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने वाले इन अधिकारियों के लगातार मनोबल गिर रहा है।